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आखिर क्यों लोगों के दिलों पर राज करते थे रतन टाटा

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दरियादिली के मामले में रतन टाटा का कोई सानी नहीं
भारत के सबसे सफल व्यवसायियों में से एक होने के साथ-साथ वह अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी जाने जाते थे। परोपकार में उनकी व्यक्तिगत भागीदारी बहुत पहले ही शुरू हो गई थी। वर्ष 1970 के दशक में उन्होंने आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परियोजना की शुरुआत की, जिसने भारत के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में से एक की नींव रखी। दरियादिली के मामले में भी रतन टाटा का कोई सानी नहीं रहा। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने पीएम केयर्स फंड में 500 करोड़ की बड़ी राशि दान की थी।

रतन टाटा ने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार, शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने और गरीबों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं बनाई। टाटा ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने कई अस्पतालों की स्थापना की और कई शिक्षण संस्थानों की मदद की।

उनका एक प्रसिद्ध उद्धरण है, ‘मैं अपने देश के लिए एक सपना देखता हूं, जहां हर व्यक्ति को अपने अधिकार मिलें।’ उन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए युवाओं को प्रेरित किया कि वे अपने सपनों के पीछे दौड़ें और समाज के उत्थान के लिए कार्य करें।

आम आदमी से किये वादे के पूरा किया

कहा जाता है कि रतन टाटा ने आम लोगों के लिए सबसे सस्ती कार बनाने का वादा किया था जिसे उन्होंने नैनो के रूप में पूरा किया लखटकिया कार के रूप में जानी जाने वाली नैनो ने आम आदमी के कार में यात्रा करने के सपने को पूरा किया

उनका एक प्रसिद्ध उद्धरण है, ‘मैं अपने देश के लिए एक सपना देखता हूं, जहां हर व्यक्ति को अपने अधिकार मिलें।’ उन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए युवाओं को प्रेरित किया कि वे अपने सपनों के पीछे दौड़ें और समाज के उत्थान के लिए कार्य करें।

वैश्विक पहचान

रतन टाटा ने न केवल टाटा नैनो को फिर से सफल बनाया, बल्कि उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण अधिग्रहण भी किए। उन्होंने जगुआर और लैंड रोवर को खरीदकर टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाई। इसने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया मानक स्थापित किया। उनके इस कदम ने भारतीय उद्योग को एक नई दिशा दी और टाटा समूह को एक शक्तिशाली ब्रैंड बना दिया।