INFORMATIONLIFESTYLENATIONAL

जानिये कैसे मनाई जाती है कोड़ामार होली

राजस्थान के भीलवाडा़ में रंग तेरस के दिन कोड़ा मार होली खेली जाती है , यहां यह परंपरा लगभग 200 वर्षों से कायम है। इस दौरान जीनगर समाज के लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। परंपरा के तहत पुरुष कढ़ाव में भरे रंग को महिलाओं पर डालते हैं और उससे बचने के लिए महिलाएं पुरुषों पर कोड़े से प्रहार करती हैं।

होली मनाने के लिए जीनगर समाज के स्त्री-पुरुष गाजे-बाजे के साथ पहुंचते हैं. महिलाएं सूती साड़ियों को गूंथकर कोड़े बना लेती है. वहां रखे पानी व रंग से भरे कड़ाव के पास खड़ी हो जाती हैं. पुरुष कड़ाव से पानी की डोलची भरकर महिलाओं पर फेंकती है और महिलाएं उन्हें कोड़े से मारती हैं. कड़ाव पर जिसका कब्जा हो जाता है, वही इसमें जीतता है.

त्यौहार के पीछे क्या है उद्देश्य

जीनगर समाज की होली को लेकर समाज के लोगों का कहना है कि कि यह परंपरा लगभग 2 सौ वर्ष से है. उस समय हमारे बुजुर्गों ने सोचा था कि महिलाओं का सशक्तिकरण के लिए कोई पर्व मनाया जाए. इसके बाद होली के 13 वें दिन कोडामार होली का आयोजन किया गया. इस त्‍योहार को हम आज तक निभा रहे हैं. इस दिन महिलाएं पुरुषों पर प्‍यार से कोड़े बरसाती हैं तो हम उन पर रंग का पानी डालते हैं. इसके बाद पूरे समाज का एक सामूहिक भोज आयोजित किया जाता है. जिससे कि समाज में एकता और समरसता कायम रहे. कोड़ामार होली में नवविवाहित युवक-युवतियों को भी बड़े उत्साह से लाया जाता है. यहां नव दंपती होली खेलने के बाद बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हैं. महिलाएं भी इस दिन अपने-आपको पुरुषों के बराबर समझती हैं.