हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणाम मंगलवार को आ गए। हरियाणा में ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा पहली ऐसी पार्टी बनी है जो लगातार तीसरी बार राज्य में सरकार बनाएगी। वहीं जम्मू कश्मीर की सत्ता में 10 साल बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की वापसी होगी।
इन नतीजों में दोनों राज्यों की सुरक्षित सीटों (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) के नतीजों के बारे में भी चर्चा हो रही है। सियासी बिसात के लिहाज से देखें तो इन सुरक्षित सीटों पर जिन पार्टियों ने जीत हासिल हुई, उनकी जीत की राह काफी हद तक आसान हुई। पहले जानिए दोनों राज्यों में और कब चुनाव कराए गए?
हरियाणा में सभी 90 सीटों पर 5 अक्तूबर को मतदान हुआ। वहीं जम्मू जम्मू कश्मीर में क्रमशः 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्तूबर को तीन चरण में मतदान कराया गया था। दोनों राज्यों के चुनावी नतीजे मंगलवार को आए।
आरक्षित सीटों पर भाजपा-कांग्रेस दोनों को फायदा, जजपा हुई साफ
2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 17 आरक्षित सीटों में से सबसे ज्यादा नौ सीटें जीती, जबकि 2019 में यह आंकड़ा सात था। कांग्रेस के खाते में जो सुरक्षित सीटें गईं उनमें गुहला, झज्जर, कलानौर, कलांवाली, मुलाना, रतिया, साढौरा, शाहबाद और उकलाना शामिल हैं।
दूसरे स्थान पर भाजपा को आठ सुरक्षित सीटों पर जीत मिली है जबकि 2019 में इसके पास पांच सीटें थीं। भाजपा के खाते में जो सुरक्षित सीटें गईं उनमें बावल, बवानी खेड़ा, होडल, इसराना, खरखौदा, नरवाना नीलोखेड़ी और पटौदी शामिल हैं।
दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के खाते में पिछली बार इनमें से चार सीटें गई थीं, जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी। इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के खाते खाली रह गए।
जम्मू कश्मीर में आरक्षित सीटें
तत्कालीन राज्य में पिछले चुनाव की स्थिति काफी अलग थी। परिसीमन से पहले जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की कुल 87 सीटें थीं। इसमें जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 43 हो गई हैं। पहले कश्मीर की 46 सीटें थीं, जो अब 47 सीटें हो गई हैं। परिसीमन से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में चार सीटें लेह और करगिल जिले से आती थीं, जो अब अलग केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं।
2014 में जब पूरे जम्मू कश्मीर राज्य में 87 सीटें थीं, तब केवल जम्मू क्षेत्र की सात ही सीटें एससी के लिए सुरक्षित थीं। इस बार जम्मू कश्मीर में कुल 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 74 सामान्य और 16 सुरक्षित हैं। अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सात विधानसभा क्षेत्र आरक्षित हैं। ये सीटें हैं रामनगर, कठुआ, रामगढ़, बिश्नाह, सुचेतगढ़, मढ़ और अखनूर। वहीं अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए नौ सीटें आरक्षित की गई हैं। ये निर्वाचन क्षेत्र हैं- कोकेरनाग, कंगन,गुलाबगढ़, राजोरी, बुद्धल, थन्नामंडी, सुरनकोट, मेंढर और गुरेज।
सुरक्षित सीटों पर नतीजे
2024 के चुनाव में एससी के लिए सुरक्षित सीटों पर एक बार फिर भाजपा का एकतरफा दबदबा रहा। भाजपा को एससी के लिए सुरक्षित सभी सात सीटों पर जीत मिली। ये सीटें हैं रामनगर, कठुआ, रामगढ़, बिश्नाह, सुचेतगढ़, मढ़ और अखनूर। 2014 के चुनाव में भी सभी एससी सुरक्षित सीटें भाजपा के खाते में गई थी।
वहीं एसटी के लिए आरक्षित नौ सीटों की बात करें तो, इनमें नेकां ने छह जीती हैं। ये सीटें हैं गुरेज, कंगन, कोकरनाग, गुलाबगढ़, मेंढर और बुद्धल। राजौरी (एसटी) सीट पर नेकां के सहयोगी कांग्रेस को जीत मिली। इसके अलावा थन्नामंडी सीट पर निर्दलीय शोक मुजफ्फर इकबाल खान और सुरनकोट सीट पर निर्दलीय चौधरी मोहम्मद अकरम जीते।