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जानिए कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली

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देशभर में होली का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, सद्भावना और भाईचारे के इस पर्व को देश के अलग-अलग हिस्सों मे अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। ब्रज के बरसाना गांव में अनोखी होली खेली जाती जिसे लट्ठमार होली कहते हैं।

इस तरह मनाते हैं लट्ठमार होली

यहां की होली में प्रमुख रूप से नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं, नंदगांव की टोलियां जब पिचकारी लेकर बरसाना पहुंचती हैं तब बरसाना की सखियां नंदगांव के ग्वालों पर लाठियां बरसाती हैं। पुरुषों को महिलाओं की लाठियों से बचना होता है और उन्हें रंग से भिगाना होता है।यहां के लोगों का विश्वास है कि होली की लाठियों से किसी को चोट नहीं लगती है। छोटी मोटी चोट लगने पर ये लोग घाव पर मिट्टी मलकर फिर से होली खेलने लगते हैं।महिलाओं की लाठियों से बचने के लिए ढाल का प्रयोग भी किया जाता है। इस दौरान भांग और ठंडाई जैस पेय पदार्थों का भरपूर इंतजाम किया जाता है। कीर्तन मंडलियां राधा और कृष्ण के गीत गाते हुए त्यौहार का आनंद लेती हैं।

इस तरह हुई शुरुआत

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण जी राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे, तो राधा जी और सखियों को चिढ़ाने लगे। उनके इस व्यवहार को देख राधा जी और उनकी संग की सखियों ने कृष्ण जी और ग्वालों को लाठी से पीटते हुए दौड़ाने लगी। इस तरह उन्होंने सभी को सबक सिखाया। ऐसी मान्यता है कि तभी से बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली की शुरुआत हुई