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जानिये कितने प्रकार से मनाई जाती है होली

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होली प्रेम और भाईचारे का पर्व है । होलिका दहन से शुरू होकर रंगपंचमी तक चलने वाला यह त्यौहार देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है…आइये जानते हैं देशभर में इसे कितने तरीकों से मनाया जाता है।

लट्ठमार होली

उत्तरप्रदेश के ब्रज क्षेत्र का बरसाना लट्ठमार होली के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन केवल बरसाना में ही नहीं बल्कि राजस्थान के भरतपुर जिले के कामां में तथा जिला करौली के प्रसिद्ध मंदिर कैला देवी मंदिर में भी लट्ठमार होली का आयोजन होता हैं।लट्ठमार होली की उत्पत्ति के विषय में पौराणिक कथाओं में विस्तार से वर्णन दिया गया है, जो राधा रानी के प्रेम प्रसंगों से जुड़ा हुआ है । पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण जी राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे, तो राधा जी और सखियों को चिढ़ाने लगे। उनके इस व्यवहार को देख राधा जी और उनकी संग की सखियों ने कृष्ण जी और ग्वालों को लाठी से पीटते हुए दौड़ाने लगी। इस तरह उन्होंने सभी को सबक सिखाया। ऐसी मान्यता है कि तभी से बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली मनाई जाती है।लट्ठमार होली के दिन बरसाना की सखियां नंदगांव के ग्वालों पर लाठियां बरसाती हैं।  इस दौरान वह अपना बचाव ढाल के द्वारा करते हैं। साथ ही गीत, पद-गायन की परंपरा को भी निभाया जाता है।

फूलों की होली

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में हर साल फूलों की होली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां की होली पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। फूलों की होली यहां के प्रमुख उत्सवों में से एक है। बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली का विशेष महत्व है।इस दौरान, मंदिर को विभिन्न प्रकार के देशी और विदेशी फूलों से सजाया जाता है। ठाकुर जी को विराजमान करने के लिए फूलों से बंगला बनाया जाता है। फूलों का श्रृंगार भगवान को गर्मी से राहत देने के लिए किया जाता है। यह भक्तों के लिए एक विशेष दर्शन का अवसर होता है।इस तरह के होली में रंग और गुलाल के जगह फूलों के पंखुड़ियों को अलग- अलग करके उसे एक दूसरों पर फेंक कर के होली का त्योंहार मानते हैं।

रंग और गुलाल की होली

जब बात होली की हो रही हो तो बिना रंग और गुलाल की बात न हो तो यह त्योंहार अधूरा हैं। जितने भी रूप में होली मनाई जाती हो, उसमें रंग और गुलाल कॉमन हैं।फिर भी इस प्रकार से होली पूरे भारत में एक साथ एक दिन मनाई जाती हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश से बिहार और अधिकतर उत्तर भारत में यह रंगों और गुलालों का पर्व हैं, जब कि दक्षिण भारत से मध्य भारत और उत्तर- पूर्वी क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से इसे मनाते हैं।

वैसे तो यह एकदिवसीय त्योंहार में शामिल हैं फिर भी कई स्थानों पर इसे एक से दो दिनों तक मानते हैं। अगर आप मथुरा, वाराणसी, पटना, अयोध्या, दिल्ली, भोपाल जैसे शहरों में जाएंगे तो होली किसे कहते हैं समझ जाएंगे इलाहाबाद यानी प्रयागराज शहर में होली का पर्व दो दिन मनाया जाता हैं। कुल मिलाकर होली का आनंद इन्ही इलाकों में खूब देखने को मिल जायेगा।

अंगारों की होली

शायद ही आपको यकीन हो कि ऐसे भी होली का त्योंहार मनाया जाता हैं, जिसमें रंग के जगह जलते हुये अंगारों को प्रयोग में लाया जाता हैं।

ऐसी होली राजस्थान के उदयपुर जिले के एक गांव “बलीचा” में ऐसी होली मनाई जाती हैं, यह गांव आदिवासी समुदाय वाला गांव हैं, जहाँ पर आदिवासी समाज होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह ऐसी होली खेलते हैं, जिसमें-

जलते हुए अंगारों पर दौड़ते हुये प्रदर्शन करके अपनी वीरता और साहस का परिचय देते हैं। आज भी होली के पावन अवसर पर अंगारों पर चल कर तथा नाच गाना के साथ इस तरह से होली को मनाते हैं।

पत्थरों वाली होली

इसे ही पत्थरमार होली भी कहते हैं। राजस्थान राज्य के बाड़मेर और जैसलमेर में छोटे- छोटे पत्थरों से एक दूसरे पर मारते हुये होली का पर्व मनाते हैं।

होली के दिन कई टोली बनाकर संगीत और ढोल नगाड़ों के साथ एक जगह इकट्ठा हो कर एक दूसरे पर पत्थर फेंकना शुरू कर देते हैं, जिससे कि अगला व्यक्ति बचने के लिये ढाल रूपी पगड़ी पहनकर या भागकर बचाव करते हैं और इस कला का भरपूर आनन्द लेते हैं।

मारने के लिए जो पत्थर लेते हैं, वे कंकड़ होते हैं छोटे- छोटे आकर के ताकि उससे किसी को चोंट न लगे।

उपलों के राख की होली

राजस्थान के ही डूंगरपुर इलाकों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाने वाला गोबर से बने उपले जिसे कंडा भी कहते हैं को जला कर उसका राख बना कर उसे एक दूसरे के ऊपर डाल कर होली का त्योंहार मनाते हैं।

लड्डुओं की होली

इसे लड्डूमार होली भी कहते हैं। मथुरा के वृंदावन और श्री राधारानी के बरसाना में जहाँ एक ओर लट्ठमार होली होती हैं, तो दूसरी ओर बांकेबिहारी मन्दिर में फूलों की होली के साथ ही साथ लड्डू होली भी खेली जाती हैं।

इस प्रकार के होली खेलने में रंगों और गुलालों की जगह लोग एक दूसरे को लड्डुओं से मारते हुए यानी एक दूसरे पर लड्डुओं को फेंकते हुये अनोखा होली खेलते हैं।

इस प्रकार रंगोत्सव वाले इस होली पर्व को भारत के अनेक स्थानों पर अलग- अलग रूपों में होली को मनाया जाता हैं। अधिकतर ऐसे अनोखी होली उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र और राजस्थान के कई हिस्सों में देखने को मिलता हैं।