बुलडोजर ऐक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,कोई आरोपी है सिर्फ इस बात पर घर नहीं गिरा सकते-सुप्रीम कोर्ट
बुलडोजर न्याय की प्रवृति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त संदेश देते हुए कहा है कि कार्यपालिका सिर्फ इस आधार पर किसी शख्स के घर को गिरा नहीं कर सकती है कि वह शख्स आरोपी या दोषी है। कार्यपालक अधिकारी जज नहीं बन सकता है और वह आरोपी और दोषी घोषित कर किसी का घर इस सिर्फ इस आधार पर नहीं गिरा सकता है।
रातभर महिलाओं और बच्चों का सड़क पर होना अच्छा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि अगर किसी शख्स का घर सिर्फ इसलिए गिरा दिया जाए कि वह आरोपी या दोषी है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाएं और बच्चे डिमोलेशन के कारण सड़क पर रात भर रहें यह अच्छी बात नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने डिमोलेशन को लेकर गाइडलाइंस जारी किए हैं ।
ऐसी कार्रवाई रूल ऑफ लॉ के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका को ऐसी कार्रवाई की इजाजत देना रूल ऑफ लॉ के खिलाफ है। संविधान में कार्यो का बंटवारा है और यह शक्ति के बंटवारे के सिद्धांत का उल्लंघन है क्योंकि किसी भी आरोपी को दोषी करार देने का अधिकार अदालत का है। कार्यपालिका किसी शख्स को दोषी करार नहीं दे सकती है। अगर कोई आरोपी है और सिर्फ इस आधार पर अगर कार्यपालिका उस शख्स के घर को ध्वस्त करती है तो यह कानून के शासन (रूल ऑफ लॉ) पर सीधा अटैक है।
प्रशासन जज नहीं बन सकता
अदालत ने कहा कि एग्जेक्युटिव जज नहीं बन सकता है। वह आरोपी और दोषी के घर को सिर्फ इस आधार पर ध्वस्त नहीं कर सकता है कि वह आरोपी या दोषी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर ऐक्शन एक भयावह दृश्य होता है और यह ताकत की निरंकुशता को दिखाता है। ऐसी कोई भी कार्रवाई का संवैधानिक लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे संवैधानिक मूल्यों में ऐसी किसी भी प्रक्रिया का कोई जगह नहीं है और इसकी इजाजत संविधान नहीं देता है। ऐसी कोई भी डिमोलेशन जैसी कार्रवाई कानून के तरीके से निपटाया जा सकता है।