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विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पाकिस्तान में SCO सम्मेलन के दौरान दिया भारत का दमदार मैसेज, आतंकवाद और अलगाववाद का रखा मुद्दा।

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भारत (India) के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 15-16 अक्टूबर के दौरान दो दिवसीय एससीओ सम्मेलन में शामिल होने के लिए इस समय पाकिस्तान में हैं। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) के सभी सदस्य देशों की सरकार के लीडर पाकिस्तानी राजधानी इस्लामाबाद (Islamabad) में हैं और इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह जयशंकर पहुंचे हैं। 9 साल बाद यह पहला मौका है जब एक भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान के दौरे पर हैं। जयशंकर ने इस दौरान पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ से भी मुलाकात की, जिन्होंने हाथ मिलाकर भारतीय विदेश मंत्री का स्वागत किया। आज जयशंकर ने पाकिस्तान में भारतीय हाई कमीशन का भी दौरा किया। जयशंकर ने पाकिस्तान में पौधरोपण भी किया। आज उन्होंने एससीओ लीडर्स के सामने मीटिंग मे अपने संबोधन में भारत का मैसेज भी दिया। उनका मैसेज इतना जोरदार था कि पूरी दुनिया में उसकी गूंज सुनाई दी।

जयशंकर के संबोधन की ख़ास बातें

जयशंकर ने एससीओ सम्मेलन में मौजूद लीडर्स को संबोधन करते हुए कई विषयों का ज़िक्र किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर भी इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “एससीओ को अशांत दुनिया में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का जवाब देने में सक्षम और योग्य होने की ज़रूरत है। इस संदर्भ में इन सब विषयो पर प्रकाश डाला गया….

➡️ आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करने का एससीओ का प्राथमिक लक्ष्य वर्तमान समय में और भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए ईमानदार बातचीत, विश्वास, अच्छे पड़ोसी और एससीओ चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की आवश्यकता है। एससीओ को ‘तीन बुराइयों’ का मुकाबला करने में दृढ़ और समझौता न करने की आवश्यकता है।

➡️ वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन वर्तमान समय की वास्तविकताएँ हैं। एससीओ देशों को इसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

➡️ सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए और एकतरफा एजेंडे पर नहीं, बल्कि वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए। यदि हम वैश्विक प्रथाओं, विशेष रूप से व्यापार और पारगमन को चुनते हैं तो एससीओ प्रगति नहीं कर सकता है।

➡️ औद्योगिक सहयोग प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है और श्रम बाजारों का विस्तार कर सकता है। एमएसएमई सहयोग, सहयोगी संपर्क, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई संभावित रास्ते हैं। चाहे स्वास्थ्य हो, भोजन हो या ऊर्जा सुरक्षा, हम साथ मिलकर काम करने में स्पष्ट रूप से बेहतर हैं।

➡️ डीपीआई, महिला-नेतृत्व विकास, आईएसए, सीडीआरआई, मिशन लाइफ, जीबीए, योग, बाजरा, अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस आदि जैसी भारतीय पहल और प्रयास एससीओ के लिए मजबूत प्रासंगिकता रखते हैं।

➡️ एससीओ को इस बात की वकालत करनी चाहिए कि वैश्विक संस्थानों को यूएनएससी को अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने के लिए सुधारित बहुपक्षवाद के माध्यम से तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता है।

➡️ एससीओ के उद्देश्यों को प्राप्त करने के अपने संकल्प को नवीनीकृत करने के लिए, यह आवश्यक है कि हम हितों की पारस्परिकता को ध्यान में रखें और चार्टर के क्या करें और क्या न करें का पालन करें।

➡️ एससीओ परिवर्तन की ताकतों का प्रतिनिधित्व करता है, जिस पर दुनिया का अधिकांश हिस्सा बहुत भरोसा करता है। आइए हम उस ज़िम्मेदारी को निभाएं।”